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रघुवंश 2. वैद्य :-[वेद्+यत्] आयुर्वेदाचार्य, चिकित्सक।
वैद्ययत्नपरि भाविनं गदं न प्रदीप इव वायुमत्यगात्। 19/53 वैद्य लोग राजा को अच्छा नहीं कर सके। जैसे वायु के आगे दीपक का कुछ भी वश नहीं चलता, वैसे ही राजा भी रोग से नहीं बचाया जा सका।
भुजंग 1. उरग :-[उरसा गच्छति, उरस्+गम्+ड, सलोपश्च] सर्प, साँप।
त्याज्यो दुष्टः प्रियोऽप्यासीदंगुली वोरगक्षता। 1/28 जैसे साँप के काटने पर लोग अपनी उँगली भी काटकर फेंक देते हैं, वैसे ही राजा दिलीप अपने उन सगे और प्यारे लोगों को भी निकाल बाहर करते थे, जो दुष्ट होते थे। उद्ववामेन्द्रसिक्ता भूर्विलमग्ना विवोरगौ। 12/5 ये दो वर ऐसे ही थे जैसे वर्षा से भीगी हुई पृथ्वी के छेदों में से दो साँप निकल
पड़े हों। 2. द्विजिह्व :- साँप, सर्प।
यः ससोम धर्मंदीधितिः सद्विजिह्व इव चन्दनदुमः। 11/64 इस वेश में वे ऐसे जान पड़ते थे जैसे सूर्य के साथ चन्द्रमा हो या चंदन के पेड़ से साँप लिपटा हो। अमर्षणः शोणिकांक्षया किं पदा स्पृशन्तं दशति द्विजिह्वः। 14/41 क्योंकि जब कोई साँप पैर के नीचे दब जाता है, तब वह रक्त के लोभ से थोड़े
ही उँसता है, वह तो बदला लेने के लिए ही उँसता है। 3. नाग :-[नाग+अण] साँप, सर्प।
तत्र नागफणोत्क्षिप्तसिंहासननिषेदुषी। 15/83 उसमें से नाग के फण पर रक्खे हुए सिंहासन पर बैठी हुई। नागेन लौल्यात्कुमुदेन नूनमुपातमन्तहूंदवासिना तत्। 16/76 जान पड़ता है कि इस जल में रहने वाले कुमुद नाम के नाग ने लोभ से उसे चुरा लिया है। इत्थं नागस्त्रिभुवन गुरो रौरस मैथिलेयं लब्ध्वा। 16/88 इस प्रकार नागराज कुमुद ने त्रिलोकीनाथ विष्णु अर्थात् राम के सच्चे पुत्र कुश को अपना संबंधी बनाकर।
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