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कालिदास पर्याय कोश अधिवसंस्तनुमध्वर दीक्षितामसमभासमभासयदीश्वरः। 9/21 जब वे यज्ञ की दीक्षा लेकर बैठे, उस समय भगवान् अष्टमूर्ति महादेव उनके शरीर में पैठ गए, जिससे उनकी शोभा और अधिक बढ़ गई। सा साधुसाधारणपार्थिवर्द्धः स्थिता पुरस्तात्पुरुहूतभासः। 16/5 अपनी संपत्ति से सज्जनों का उपकार करने वाले, इन्द्र के समान तेजस्वी राजा। मयूख :-[मा+ऊख मयादेशः] प्रकाश, रश्मि, अंशु, कान्ति, दीप्ति। अथान्धकारं गिरिगह्वराणां दंष्ट्रामयूखैः शकलानि कुर्वन्। 2/46 वह शिवजी का सेवक सिंह गुफा के अंधेरे में दाँत की चमक से उजाला करता हुआ। प्रागेव मुक्ता नयनाभिरामाः प्राप्येन्द्र नीलं किमुतोन्मयूखम्। 16/69 मोती तो यूँ ही सुन्दर होता है और फिर वह इन्द्र नीलमणि के साथ गूंथ दिया जाय, तब तो उसकी चमक का कहना ही क्या।
प्रजा 1. जन :-[जन्+अच्] मनुष्य, व्यक्ति, पुरुष।
जनस्य साकेतनिवासिनस्तौ द्वावष्यभूतामभिनन्द्य सत्त्वौ। 5/31 अयोध्या-निवासियों ने इन दोनों की बड़ी प्रशंसा की। मेने यथा तत्र जनः समेतो वैदर्भमागन्तुमजं गृहेशम्। 5/62 लोग यही समझने लगे कि अज ही इस घर के स्वामी हैं और भोज अतिथि हैं। यति पार्थिवलिंगधारिणौ ददृशाते रघुराघवौ जनैः। 8/16 संन्यासी बने हुए रघु और राजा बने हुए अज को देखकर लोगों ने यह समझ लिया कि दो अंश पृथ्वी पर साथ चले आए हैं। जनास्तदालोक पथात्प्रति संहृत चक्षुषः। 15/78
उन्हें देखते ही लोगों ने उसी प्रकार अपनी आँखें नीची कर ली। 2. जनता :-[जनानां समूहः -तल्] लोगों का समूह, समुदाय, मनुष्य जाति।
पश्यति स्म जनता दिनात्यये पार्वणौ शशि दिवाकराविव। 11/82 वे लोगों को इस प्रकार जान पड़ने लगे, जैसे वे संध्या समय के चंद्रमा और सूर्य हों। जनता प्रेक्ष्य सादृश्यं नाक्षिकम्पं व्यतिष्ठत। 15/67
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