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रघुवंश
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कारागृहे निर्जितवासवेन लंकेश्वरेणोषितमाप्रसादात्। 6/40 जिस रावण ने इन्द्र को जीत लिया था, उसको भी उन्होंने अपने कारागार में बन्दी रख कर छोड़ा था। लंकेश्वरप्रणति भंगदृढ़व्रतं तदबन्धं युगं चरणयोर्जनकात्मजायाः। 13/78 सीताजी के जिन पवित्र चरणों ने रावण की प्रणय-प्रार्थना को दृढ़ता पूर्वक
ठुकरा दिया था। 10. सुरारि :-[सुष्ठ राति ददात्यभीष्टम्-सु+रा+क+अरिः] देवों का शत्रु, राक्षस।
तच्चात्य चिन्तासुलभं विमानं हृतं सुरारेः सह जीवितेन। तब राम ने पुष्पक विमान को भी जाने की आज्ञा दी, जिसे उन्होंने रावण के प्राण के साथ-साथ उससे छीन लिया था।
प्रकाश
1. आलोक :-[आ+लोक्+घञ्, ल्युट् वा] दर्शन, प्रकाश, प्रभा, कान्ति ।
राजापि लेभे सुतमाशु तस्मादालोकमर्कादिव जीवलोकः। 5/35 जैसे सूर्य से संसार को प्रकाश मिलता है, वैसे ही ब्राह्मण के आशीर्वाद से थोड़े ही दिन में रघु को भी पुत्र-रत्न प्राप्त हुआ। आलोकमार्ग सहसा ब्रजंत्या कयाचिदुद्वेष्टनवान्तमाल्यः। 7/6 एक सुंदरी उन्हे देखने के लिए जब झरोखे की ओर लपकी, तब सहसा उसका जूड़ा खुल गया। प्रकाश :-[प्र+का+अच्] दीप्ति, कान्ति, आभा, उज्ज्वलता, प्रकाश, धूप। प्रकाशश्चाप्रकाशश्च लोकालोक इवाचलः। 1/68 जिस प्रकार लोकालोक नाम का पर्वत एक ओर से सूर्य का प्रकाश पड़ने से चमकता है और दूसरी ओर प्रकाश न पड़ने से अंधियारा रहता है। श्रुत प्रकाशं यशसा प्रकाशः प्रत्युञ्ज गामातिथिमातिथेयः। 5/2 अतिथि का सत्कार करने वाले अत्यन्त शीलवान और यशस्वी राजा रघु विद्वान अतिथि की पूजा करने चले। नीहारमग्नो दिनपूर्वभागः किंचित्प्रकाशेन विवस्वतेव। 7/60
जैसे कोहरे के दिन, प्रभात होने का ज्ञान धुंधले सूर्य को देखकर होता है। 3. भास :-[भास्+क्विप्] प्रकाश, कान्ति, चमक।
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