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कालिदास पर्याय कोश
दूतियाँ भिन्न-भिन्न राजधानियों में जाकर सुन्दर-सुन्दर राजकुमारियों का चित्र ले आईं और राजा के संतान होने की इच्छा से मंत्रियों ने चित्र से बढ़कर सुन्दरी उन राजकुमारियों का विवाह महाराज सुदर्शन से करा दिया।
16. सुत :- [ सु+क्त] पुत्र, राजा ।
दिवं मरुत्वानिव भोक्ष्यते भुवं दिगन्तविश्रान्तरथोहि तत्सुतः । 3/4 भविष्य में उसका पुत्र भी संपूर्ण पृथ्वी पर उसी प्रकार राज करे, जैसे इन्द्र स्वर्ग पर राज करते हैं।
निवातपद्मस्तिमितेन चक्षुषा नृपस्य कान्तं पिबतः सुताननम्। 3/17 जैसे वायु के रूक जाने पर कमल निश्चल हो जाता है, वैसे ही राजा एकटक होकर अपने पुत्र का मुँह देखने लगे ।
न संयतस्तस्य बभूव रक्षितु विसर्जयेद्यं सुतजन्महर्षितः 1 3 / 20
राज्य में कोई बंदी नहीं था, जिसे वे पुत्र जन्म की प्रसन्नता में छोड़ते । तथा नृपः सा च सुतेन मागधी ननन्दतुस्तत्सदृशेन तत्समौ । 3 / 23 वैसे ही राज दिलीप और रानी सुदक्षिणा भी उन दोनों के ही समान, तेजस्वी पुत्र को पाकर बड़े प्रसन्न हुए।
विभक्तमप्येकसुतेन तत्तयोः परस्परस्योपरि पर्यचीयत । 3/4
वह प्रेम यद्यपि एक मात्र पुत्र रघु पर बँट गया था, फिर भी उनके परस्पर प्रेम में कमी नहीं हुई।
उपान्तसंमीलितलोचनो नृपश्चिरात्सुत स्पर्शरसज्ञतां ययौः । 3 / 26 उस सयम आँखें बंद करके राजा दिलीप बहुत देर तक पुत्र के स्पर्श का आनन्द ते ही रह जाते थे ।
नियुज्य तं होमतुरंगरक्षणे धनुर्धरं राजसुतैरनुदुतम् । 3 / 38
दिलीप ने यज्ञ के घोड़े की रक्षा का भार रघु और अन्य धनुर्धर राजकुमारों को सौंपकर |
आधारबन्ध प्रमुखैः प्रयत्नैः संविर्धतानां सुतनिर्विशेषम् । 5/6
आप लोगों ने आश्रम के जिन वृक्षों के थाँवले बाँधकर, उन्हें पुत्र के समान जतन से पाला था ।
राजापि लेभे सुतमाशु तस्मादालोकमर्कादिव जीवलोकः । 5/35 जैसे सूर्य से संसार को प्रकाश मिलता है, वैसे ही ब्राह्मण के आशीर्वाद से थोड़े ही दिनों में रघु को भी पुत्र रत्न प्राप्त हुआ।
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