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कालिदास पर्याय कोश
वैसे ही पुत्र को प्यार करने वाले पिता को पाकर देवानीक भी पिता वाले हुए। ततः परं वज्रधर प्रभावस्तदात्मजः संयति वज्रघोषः । 18/21 उनके पीछे उनके पुत्र वज्रनाभ पृथ्वी के स्वामी हुए, वे इन्द्र के समान प्रभावशाली थे और युद्ध क्षेत्र में वज्र के समान गरजते थे ।
पातुं सहो विश्वसखः समग्रां विश्वंभरामात्मज मूर्तिरात्मा । 18 / 24
उन्होंने विश्वसह नामक पुत्र पाया, जो संसार में बड़े प्रिय हुए और जिन्होंने सारी पृथ्वी पर शासन किया ।
3. आत्मसंभव :- [ अत्+मनिण्+संभवः ] पुत्र ।
अंगदं चन्द्रकेतुं च लक्ष्मणोऽप्यात्मसंभवौ । 15 / 90 लक्ष्मण ने आनंद और चन्द्रकेतु नाम के अपने दोनों पुत्रों को । तदात्मसंभवं राज्ये मन्त्रिवृद्धाः समादधुः । 17/8 मंत्रियों ने उनके पुत्र अतिथि को राजा बनाया ।
4. आत्मोद्भव :- [ अत्+मनिण् + उद्भवः ] पुत्र ।
पूर्वस्तयोरात्मसमे चिरोढामात्मोद्भवे वर्णचतुष्टयस्य । 18/12 अपने ही समान तेजस्वी पुत्र को चारों वर्णों की रक्षा का भार सौंपकर |
5. औरस : - [ उरसा निर्मितः - अण् ] वैध पुत्र |
इत्थं नागस्त्रि भुवन गुरो रौरसं मैथिलेयं लब्ध्वा बन्धुं तमपि च कुशः पंचमं तक्षकस्य । 16/88
इस प्रकार नागराज कुमुद ने त्रिलोकीनाथ विष्णु अर्थात् राम के सच्चे पुत्र कुश को अपना सम्बंधी बनाकर व कुश ने भी नागराज तक्षक के पाँचवें पुत्र कुमुद को सम्बन्धी बनाकर ।
तस्यैौरसः सोमसुतः सुतोऽभून्नेत्रोत्सवः सोम इव द्वितीयः । 18 / 27 उन हिरण्यनाभ को कौशल्य नाम का पुत्र हुआ, जो सबकी आँखों को उसी प्रकार आनन्द देने वाला था, मानो दूसरा चन्द्रमा ही हो ।
6. कुमार : - [ कम्+ आरन्, उपाधायाः उत्वम् ] पुत्र, बालक, युवा I
जनाय शुद्धान्त चराय शंसते कुमार जन्मामृत संमिताक्षरम् | 3 / 16
झट अन्त: पुर के सेवक ने राजा दिलीप के पास आकर पुत्र होने का समाचार सुनाया ।
7. तनय :- [ तनोति विस्तारयति कुलम् - तन्+कयन्] पुत्र, सन्तान ।
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