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कालिदास पर्याय कोश पर्युपास्यन्त लक्ष्म्या च पद्मव्यजनहस्तया। 10/62 लक्ष्मी हाथ में कमल का पंखा लेकर हमारी सेवा कर रही हैं। चित्रद्विपाः पद्मवनावतीर्णाः करेणुभिर्दत्तमृणालभंगाः। 16/16 जिन चित्रों में ऐसा दिखाया गया था, कि हाथी कमल के ताल में उतर रहे हैं और हथिनियाँ उन्हें ढूँड़ से कमल की डंठल तोड़कर दे रही हैं। उदण्डपद्मं गृहदीर्घिकाणां नारीनितम्बद्वयसं बभूव। 16/46 उनमें कमल की डंडियाँ दिखाई देने लगी और पानी घटकर स्त्रियों की कमर तक रह गया। इन्दोरगतयः पद्मे सूर्यस्य कुमुदेऽशवः। 17/75
चन्द्रमा की किरणें कमलों में तथा सूर्य की किरणें कुमुदों में नहीं पैठ पाती। 13. पुण्डरीक :-[पूंड्+ईकन्, नि०] श्वेत कमल, कमल।
पुण्डरीकातपत्रस्तं विकसत्काश चामरः। 44/17 शरद् ऋतु भी कमल के छत्र और फूले हुए कास के चँवर लेकर। प्रबुद्धपुण्डरीकाक्षं बालातपनिभांशुकम्। 10/9 खिले हुए कमल जैसी आँखों वाले, प्रातः काल की धूप के समान सुनहले वस्त्र पहने। शान्ते पितर्याहत पुण्डरीका यं पुण्डरीकाक्षमिव श्रिताश्रीः। 18/8 पिता के स्वर्ग चले जाने पर कमल धारण करने वाली लक्ष्मी ने पुण्डरीक को ही
विष्णु मानकर वर लिया। 14. पुष्कर :-[पुष्कं पुष्टिं राति-रा+क] नीला कमल, कमल।
तं पुत्रिणां पुष्करपुत्रनेत्रः पुत्रः समारोपथदग्रसंख्याम्। 18/30 वे गरुड़ध्वज विष्णु के समान सुन्दर थे और उन कमल लोचन का नाम भी पुत्र ही था। रघोः कुलं कुड्मलपुष्करेण तोयेन चा प्रौढनरेन्द्रमासीत्। 18/37 इस बालक से राजा रघु का कुल वैसे ही शोभा देने लगा, जैसे कमल की कली
से ताल शोभा देता है। 15. वनज :-[वन्+अच्+जम्] नीलकमल, कमल। दीर्धेष्वमी नियमिताः परमण्डपेषु निद्रां विहाय वनजाक्ष वनायुदेश्याः।
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