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रघुवंश 3. पतत्रिण :-[पतत्र+इनि] पक्षी।
शशिनं पुनरेति शर्वरी दयिता द्वन्द्वचरं पतत्त्रिणम्। 8/56 देखो चंद्रमा को रात्रि फिर मिल जाती है, चकवे को चकवी भी प्रातः मिल ही जाती है। अभिययुः सरसो मधुसंभृतां कमलिनीमलिनीरपतत्रिणः। 9/27 जैसे उनकी लक्ष्मी के आगे बहुत से मंगन हाथ फैलाया करते थे, वैसे ही वसन्त की शोभा से लदी हुई ताल की कमलिनी के आसपास भौरे और हंस भी मंडराने लगे। तो सरांसि रसवद्भिरम्बुभिः कूजितैः श्रुतिसुखैः पतत्रिणः। 11/11 सरोवरों ने उन दोनों को अपना मीठा जल पिलाकर, पक्षियों ने मधुर गीत सुनाकर। आयुर्देहातिगैः पीतं रुधिरं तु पतत्रिभिः। 12/48 बाण तो आयु पीने के लिए गए थे, उनका रक्त तो पिया पक्षियों ने। वयस :-[अज्+असुन् वी भावः] पक्षी। उदीरयामासुरिवोन्मदानामालोकशब्दं वयसां विरावैः। 2/9 मार्ग के पक्षों पर अनेक मतवाले पक्षी चहचहा रहे थे, उनके कलरव को सुनकर ऐसा जान पड़ता था। वयसां पंक्तयः पेतुर्हतस्योपरि विद्विषः। 15/25
मरे हुए शत्रु के ऊपर गिद्ध आदि पक्षी टूट पड़े। 5. विहंग :-[विहायसा गच्छति गम्+ खच्, मुम्] पक्षी।
विश्वासाय विहंगानामाल बालाम्बुपायिनाम्। 1/51 जिससे आश्रम के पक्षी उन वृक्षों के थाँवलों का जल निडर होकर पी सकें। उपान्तयोर्निष्कुषितं विहंगैरासिप्य तेभ्यः पिशतप्रियापि। 7/50 एक स्थान पर किसी के बाँह का टुकड़ा कटा पड़ा था, जिसे गिद्ध आदि पक्षियों
ने नोच रक्खा था। उसे मांस के लोभ से सियारिन खींच ले गई। 6. विहग :-[विहायसा गच्छति गम्+उ, नि०] पक्षी।
विहगाः कमलाकरालयाः समदुःखा इव तत्र चकुशुः। 8/39 उनसे डरकर तालाबों में रहने वाले पक्षी भी इस प्रकार चिल्ला उठे, मानो वे भी उनके दुःख में दुखी हों।
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