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कालिदास पर्याय कोश
उनके जितेन्द्रिय पुत्र इतना मधुर बोलते थे कि शत्रु भी उनका वैसे ही आदर
करते थे जैसे मित्र |
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हो
द्विषाम सह्यः सुतरां तरुणां हिरण्यरेता इव सानिलोऽभूत । 18 ऐसे पुत्र को पाकर विश्वसह शत्रुओं के लिए वैसे ही भयंकर की सहायता पाकर वृक्षों के लिए अग्नि भयंकर हो जाती है। भोक्तुमेव भुज निर्जित द्विषा न प्रसाधयितुमस्य कल्पिता । 19/3 इसलिए उन्हें तो केवल भोग करने के लिए ही राज्य मिला था, राज्य के शत्रुओं को मिटाने के लिए नहीं ।
. जैसे वायु
गए,
4. पर : - [ पृ० + अपू, कर्तरि अच् वा] शत्रु, दुश्मन, रिपु ।
श्रुतस्य यायादयमंत मर्भकस्तथा परेषां युधि चेति पार्थिवः । 13 / 21 वह संपूर्ण शास्त्रों के पार भी जाएगा और युद्ध - क्षेत्र में शत्रुओं के व्यूहों को तोड़कर उनके भी पार जाएगा।
शृंगं सदृप्तविनयाधिकृतः परेषामत्युच्छ्रितं । 9/62
वे सिर उठाकर चलने वालों का दमन अवश्य करते थे, इसलिए उन्होंने ऐंठकर चलने के साधन सींगों को काट डाला ।
परात्मनोः परिच्छिद्य शक्त्यादीनां बलाबलम् । 17/59
चढ़ाई करने के पहले वे अपने और शत्रु के बल और त्रुटि को भली-भाँति तौल लेते थे ।
पराभि संधान परं यद्यप्यस्य विचेष्टितम् | 17 / 76
इनका काम यद्यपि शत्रुओं को जिस तिस प्रकार हराना ही था । 5. रिपु: - [ रप् + उन्, पृषो० इत्वम्] शत्रु, दुश्मन, प्रतिपक्षी । दोहावसाने पुनरेव दोग्ध्रीं भेजे भुजोच्छिन्नरिपुर्निषण्णम् । 2/23
की पूजा हो जाने पर शत्रुओं के संहारक राजा दिलीप, नंदिनी के दूध दुह लेने के बाद उसकी सेवा में फिर लग गए।
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इन्द्रियाख्यानिव तत्रोच्चैर्जयस्तम्भं चकार सः । 4/60
जैसे कोई योगी इन्द्रियरूपी शत्रुओं को जीतने के लिए तत्त्वज्ञान का सहारा लेता
है।
हर्म्याग्रसंरूढतृणांकुरेषु तेजोडविषह्यं रिपुमन्दिरेषु । 6 / 47
सूर्य के समान प्रचंड तेज शत्रुओं के उन राजभवनों पर दिखाई देता है, जिनके उजड़ जाने पर उनमें घास जम आई है।