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कालिदास पर्याय कोश
संहार विक्षेपलघुक्रियेण हस्तेन तीराभिमुखः सशब्दम् । 5 / 45
वह हाथी ज्यों-ज्यों तट की ओर आने लगा, त्यों-त्यों अपनी सूँड़ फैलाकर और सिकोड़कर चिंग्घाड़ता हुआ ।
अनेनसार्धं विहराम्बुराशेस्तीरेषु तालीवन मर्मरेषु । 6 / 57
जहाँ
तुम चाहो तो इनके साथ विवाह करके समुद्र में उन तटों पर विहार करो, दिन- -रात ताड़ के जंगलों की तड़तड़ाहट सुनाई देती है ।
जलानि या तीरनिखात यूपा वहत्ययोध्यामनु राजधानीम् । 13/61 यह नदी इक्ष्वाकुवंशी राजाओं की राजधानी अयोध्या से लगी बहती है। इसके तट पर जहाँ-तहाँ यज्ञों के खंभे गड़े हुए हैं।
इयेषभूयः कुशवन्ति गन्तुं भागीरथी तीर तपोवनानि । 14 / 28
मैं गंगाजी के तट के उन तपोवनों को देखना चाहती हूँ, जहाँ कुशा की झोपड़ियाँ चारों ओर खड़ी हैं।
तीरस्थली बर्हिभिरुत्कलापैः प्रस्निग्धकेकैरभिनन्द्यमानम्। 16/64
उसे सुनकर तट पर बैठे हुए मोर अपनी पूँछ उठाकर और बोलकर उनका अभिनंदन कर रहे हैं।
5. रोधस : - [ रुध् + असुन्] तट, पुश्ता, बाँध ।
स नर्मदारोधसि सीकराट्रैर्मरुद्धिरानर्तितनक्तमाले । 5/42
अज ने नर्मदा नदी के किनारे जहाँ बड़ा शीतल वायु बह रहा था और उसके झोकों में करंजक के पेड़ झूम रहे थे ।
अथ रोधसि दक्षिणो दधेः श्रित गोकर्ण निकेतमीश्वरम् । 8 / 33
उसी समय दक्खिनी समुद्र के किनारे पर गोकर्ण में बसे हुए शंकर जी को । निववृते स महावर्णरोधसः सचिव कारित बाल सुतांजलीन् । 9/14 उन देशों के मंत्रियों ने उन राजपुत्रों को दशरथ के आगे हाथ जोड़कर खड़ा कर दिया और राजा दशरथ उस महासमुद्र के तट से लौट आए।
रोधांसि निघ्नन्नवपातमग्नः करीव वन्यः परुषं ररास । 16 / 78 तट को छोड़ता हुआ ऐसे गरजने लगा, जैसे गड्ढे में पड़ा हुआ कोई हाथी चिंघाड़ रहा हो ।
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6. वेला :- [ वेल्+टाप् ] समुद्र तट, समुद्री किनारा, सीमा, हदबंदी । अथ वेला समासन्नशैलरंध्रानुनादिना । 10/35