________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
100
कालिदास पर्याय कोश
राम ने धनुष को डोरी उतार दी क्योंकि उन्होंने देवताओं का काम पूरा कर दिया था। दग्ध्वापि देहं गिरिशेन रोषाखंडी कृता ज्येव मनोभवस्य। 16/51 मानो कामदेव का शरीर भस्म करने के पश्चात् शिवजी के हाथ से तोड़ी हुई कामदेव के धनुष की डोरी हो। ततः स कृत्वा धनुराततज्यं धनुर्धरः कोपविलोहिताक्षः। 16/77 यह सुनते ही कुश की आँखें क्रोध से लाल हो गईं और वहीं तट पर खड़े होकर उन्होंने धनुष की डोरी को ठीक किया। मौर्वी :-[मूर्वाया विकारः अण्+ङीप्] धनुष की डोरी। शास्त्रेष्व कुंठिता बुद्धिौर्वी धनुषि चातता। 1/19 शास्त्रों का उन्हें अच्छा ज्ञान था और धनुष चलाने में भी वे एक ही थे। वे अपना सब काम तीखी बुद्धि और धनुष पर चढ़ी हुई डोरी इन दो से ही निकाल लेते थे। अनश्नुवानेन युगोपमानम बद्धमौर्वी किणलांछनेन। 18/48 यद्यपि उनकी भुजा जुए के समान मोटी और लंबी नहीं हुई थी, धनुष की डोरी खींचने से कड़ी भी नहीं हो पाई थी।
तट
1. उपकूल :-[उप+कूल+अच्] किनारा, तट।
उपकूलं स कालिन्द्याः पुरीं पौरुषभूषणः। 15/28
तब पराक्रीम, संयमी और सुंदर शत्रुघ्न ने यमुना के किनारे। 2. कूल :-[कूल+अच्] किनारा, तट।
महोदग्राः ककुद्भन्तः सरितां कूलमुगुजाः। 4/22 कहीं-कहीं ऊँचे कंधों वाले मतवाले साँड़ नदियों के कगार ढाते हुए। साभूद्रामाश्रयाभूयो नदीवोभय कूलभाक। 12/35 राम और लक्ष्मण के पास आते-जाते उसकी दशा उस नदी के समान हो गई, जो बारी-बारी से अपने दोनों तटों को छूती हुई बह रही हो। निविष्टमुदधेः कूले तं प्रपेदे विभीषणः। 12/68 जब राम समुद्र के तट पर पहुंचे, तो विभीषण उनसे मिलने आया।
For Private And Personal Use Only