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व्याकरण ग्रंथ :--
व्याकरण
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गो आदि के शब्दार्थ |
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व्याकरण शास्त्र
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91
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सं.
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सं.मा.
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8 A
26 × 11 × 19 × 57 संपूर्ण 4 अध्याय 267
श्लोक
27 x 11 x 20 × 58
25 x 11 x 13 x 39
27 x 11 x 15 x 60
27 x 11 x 13 x 49
25 × 11 × 17 × 60
26 × 11 × 13 × 48
27 x 12 x 17 x 51
26 × 11 × 11 × 39
32x16 x 14 x 36
26 x 10 x 15 x 48
26 × 1 1 × 19 × 63
26 × 11 x -
25 x 11 x 17 x 54
25 × 11 ×—
23 x 10 x 9 x 39
25 x 11 x 17 x 48
25 x 10 x 5 x 32
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33 × 16 × 11 x 36
26 × 11 × 13 × 38
26 × 11 × 13 × 34
28 × 11 × 11 × 36
25 x 11 x 13 x 41
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अपूर्ण 432 पद तक
संपूर्ण
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17
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25 × 11 × 10 × 40 संपूर्ण
25 x 12 x 13 x 38
प्रतिपूर्ण
अपूर्ण
37
3300 ग्रंथाग्र
11
377 श्लो (मूल ग्रंथाग्र 1822 )
3 अध्याय ग्रं 900 1518
19वीं
1632
For Private and Personal Use Only
17वीं
1854
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
1890
17
10
1759 नागौर
1906 अमदाबाद |
खूवचन्द
1603
19वीं
18वीं
1680
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19at
35
द्वन्द्व समास प्रक्रिया
तक
( प्रथम 3 पत्र कम) 1763 बीकानेर में
61 पद
अपूर्ण समास प्रक्रिया
15वीं
पर्यन्त सुबंत प्रकरण तक संपूर्ण 17वीं
पूर्ण
1832 मालपुरा पं. फतेचंद 18वीं
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"1
19वीं
[ 429
11
वृति क्रियाक्ल्पलता नाम्नी प्रशस्ति है । प्रथम 2 पन्न कम
कञ्चित् प्रर्थं सह