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भाग (2) जैन सिद्धान्त व प्राचार विभाग :- (अ)
1
2
3
3A
Deva Guru Dharma
529 | कोलड़ी 885 देव गुरु धर्म
| के नाथ गुटका 6 | दोहा बहोत्तरी
Dohã Bahottari
जिनरंग
531
लावण्यविजय स्वोपज्ञ मू वृ
महावीर 2/39 | द्रव्य सप्ततिका (सत्तरी) | Dravya Saptatika
वृति
(Sattariy+Vrtti के.नाथ 16/8 द्रव्य संग्रह वृत्तिसह | Dravya Sangraha
With Vrtti कोलड़ी 1229 , +बा.
+Bala.
नेमिचंद्रसूरि/-
, (प.ग.)
मू.बा. (प.ग
महावीर 2/49
मूट (प.ग.
535
प्रोसियां 2/222
536.
+Bia
नेमिचंद्र रामचंद्र
537
538
के.नाथ 3/30 " +-बाला. कोलड़ी 833 ., 832
+भाषान्तर ., 1095 | (लघ) द्रव्य-संग्रह कुंथुनाथ 36! | क्रम द्वात्रिंशभावना
,, +Bhāsāntara | नेमिचंदसूरि
(Laghu) Dravya-sangraha
मू ट. (प.ग.)
540
Dvātrisa Bhāvanā
541 | प्रोसियां 2/227 | धर्म ध्यान बोल बा.
(पागमोक्त)
बा.
Dharma-dhyāna-bola
+ Bālā.
| के.नाथ 23/58
धर्म ध्यान बोल
543
| कोलड़ी 977
धर्म-परीक्षा
Dharma Pariksa
अमितगति
544
महावीर 2/15 | कोलड़ी 967
जिनमंडन (सोमसुंदर , का शिष्य)
मू.बा.
| धर्मफल+बाला.
Dharma-phala+Bala
546
प्रोसियां 4 988 धर्म-बावनी
Dharma Bāvani
धर्मसी मुनि
547
548
मू वृ. (प.ग.)
daka
550
| के नाथ 29/51
, 3/7 धर्मरत्न करंडक Dharma Ratna Karan. वर्द्धमानसूरि महावीर 2/114 ., 2/115 | धर्मरत्न-प्रकरण
Prakaraņa zifagft , 26 ,
शांतिसूरि/देवेन्द्रसूरि कुंथुनाथ 23/4 | धर्मरत्न-प्रकरण की दृत्ति
Ki Vști | के.नाथ 15/237 धर्मामृते उक्तः सागार धर्म टीका Dharmāmrte Vktah Sāgaral पं. प्राशाधर
Dharma Tika
551
पा
552
253
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