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जैन तात्विक प्रौपदेशिक व दार्शनिक :
[ 121
10
11
6 प्रौपदेशिक
78 8A
9 स. | 206 / 27x12 x 14x41 संपूर्ण 12 प्रकाश
1962 नागौर
,, उद्धरण | प्रा.सं. 1
25x12x20x56 |
, 18 गाथा/श्लोक 18वीं
प्रौपदेशिक
प्रा. | 123* | 26 x 12 x 11x40 |
25 गाथा
16वीं
26x10x12x42
50 गाथा लगभग 19वीं
प्रा.मा
26x11x7x47
, 49 गाथा
17वीं
26x12x7x47
18वीं
25x12x4x30
प्रा.सं.
| 241 | 26x11x13x31
50 गाथा 1813 (अपर नाम
पंचाशिका भी) , 40 गा.(20/20) 17वीं
द्वितीय व तृतीय कथासह
वक्षकार की . 40 गाथा की,, |19 - हर्षचंद प्रथम व चतुर्थ
वक्षकारकी प्रशस्ति है ,81,,(20x4+ 18वीं
26 x 11x15x39 ||
प्रा.मा.-4
26x11x7x52
प्रा.
31x11x15x52
19वीं
प्रा.मा.
43x11x9x76
26x11x15x50
" 4 कुल
1927 बीक नेर
देवगुप्त क(22+4)| 19वीं x रत्नहर्ष 135 ग्रंथाग्र 1668
24x11x15x50
24x11x11x32
1671
25x11x15x42
107 गाथा
1712
24x11x15x38
, 135 ग्रंथाग्र
1834
23x11x13x40
1843
9,3,4 | 20 से 25x10 से 12
, 4 ढालें
19वीं
14 x 11 x 13 x 26
1854X गणेश
कीर्ति 19वीं
25x12x14x45
| 25x11x15x39
, 104 गाथा
19वीं
24x11x11x45
, 135 ग्रंथान
20वीं
दिशानुसार जीव दंडकाल्प बहुत्व | "
26x12x17x35
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