________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२ की दीक्षावगेरा बहुतसे धर्मकृत्यहूवे, चोमासेवाद वांगडोद सेमलीया, सरसी जावरा रोजाणा रिंगणोद गुणदी ताल आलोट पधारे वाद पीछे रिंगणोद पधारे वै० व० ७ की यात्राकरी, वादशीतामहु से मानपुर ताल वगेरा होते हुवे महिंदपुर पधारे वहां १ साधवीकी दीक्षा हुइ, वादक्रमसें विहारकरते हुवे, उज्जयनपधारे, श्रीऐवंतिपार्श्वनाथजीकीयात्राकरी उज्जेनसें कायथा होतेहूवे श्रीमकसीपधारे, यात्राकरी क्रमसें देवासवगेरा होते हूवे, आषाढ वदि १० को इन्दोरमें आपश्री पधारे, वहां आपका ७९ सालका चोमासा हूवा, जिसमें भगवती सूत्रवृत्तिकी वाचनाकरी, तपउपधान हूवा, चोमासेमे १ ज्ञानभंडार हूवा, जिसमे बहुत पुस्तक कपाट वगेराका संग्रहकीयागया है, महोपाध्याय १ वाचक २ पं०३ पदवी दीया १ साधुकीदीक्षाभइ चोमासेवाद संघसाथ तीर्थमांडवगढजात्राकरके धारा नगरी पधारे, वाद अमीजरा भोपावरमें श्रीसांतिनाथस्वामी राजगढमें श्रीमहावीरस्वामीकी यात्राकरी वाद देशाइ कडोद वगेरा होते हुवेवखतगढ वदनावर वडनगर वगेरा फरसते हुवे, क्रमसें खाचरोद पधारे १९८० में चैत्रकी ओलीकरी वाद खाचरोद से विहारकर क्रमसें सेंमलीया नामली पंचेड सहाणा आये दरवारको उपदेशकरा वाद पीपलोदा सुंखेडा अरुणोदवगेरा होते हुवे, आपश्री प्रतापगढ पधारे, वाद प्रतापगढसें क्रमसें तीर्थ वईपार्श्वनाथस्वामिकी यात्राकरी, वईसें क्रमसें आपश्री दशपुर नगर याने मंदसोर पधारे, वहां आपश्रीका ८० सालका चतुर्मासक हूवा, नंदीसूत्रवृत्तिः शत्रुजयमहात्मकी वाचना भइ, मंदसोरसें विहार करते हुवे क्रमसें वई कणगेटी जीरण नीमचछावणी जावद केसरपुरा नीबाडा शतखंडा वगेरा देखते हुवे, चित्रकूटगढ पधारे, चितोडसें सिंगापुर कपासण तीर्थ
For Private And Personal Use Only