________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३८
॥ सतरहनेदी ॥
(११)
-
णक लाल लसणीया।हीरा सोहै रे। मन मोहै रे । धुनी चुनी पुलक करकेतनां । जात रूप सुन्नग अंक अंजना। मन मोहै रे ॥१॥ मौलि मुकुट रयणे जम्यो । कांने कुंमल हां सुजुगतै जुम्लो । उरहारू रे ॥२॥ नाल ति लक वाहें अंगदा । आजरण दशमी पूज मुदा । सुखकारू रे । दुखवारू रे ॥२॥
॥राग केदारो॥
प्रजू शिर सोहै। मुगट रयणे जम्नो। अं गद बांह तिलक नालस्थल । यऊनीको कों नघम्नो प्र० ॥१॥ श्रवण कुंडल शशि तरणि मंझल जी । सुरसुं अधिक अलंकस्यो । दुख के दार चमर सिंहासण। कत्र शिर उवरिध स्वो । शलंकृत उचितवस्यो ॥२॥
॥ इति आमरणपूजा १०॥
॥ अथ फूल घर पूजा ।
॥दोह॥
-
फूल घरो शति शोलतो। फूंदै लहकै फू
For Private And Personal Use Only