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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Achan L.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ लूण पूजा ॥ २१ वस्त्रा दिकां । पूजां तीर्थकृतां करोति सततं शक्त्या तिनक्त्या हतां ॥ नीरागस्य निरंज नस्य विजिताराते खिलोकीपतेः स्वस्या न्य स्य जनस्य निर्वृतिकृते क्लेशदया कांदया। नही परम परमात्मने अनंतानंत ज्ञानशक तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय श्रीमजिने दाय वस्त्रं यजामहे स्वाहा ॥ इति बस्त्रपूजा ॥ इति शष्ट प्रकारी पूजा ॥ ॥ श्थ लूण उतारण गाथा ॥ शह पडि नग्गा पसरं पयाहिणं मणिव इ करेऊणं । पडि सलूणत्तण लजियंच लूण जय बहम्मि॥ १॥ पिरकविह मुह जिन वरह दीहर नयण सलूण रहावइ गुरु मत्य नरि य । जलण पइस्सइ लूणं॥ २ ॥ लूण उतारिय जिणबरह । तिन्नि पयाहिण देइ तड तड सद्द करंतिते विज्ञाविज जलेण॥३॥ लूण अ ग्निमें दीजे ॥ जंजेण विज थूइ जलेण तंतह अस्थि ससई । जिण रूव मच्छ रेण । फिह इ लूणं तड तडस्स ॥ लूण शग्नि में दीजे ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020404
Book TitleJin Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamchandra Gani
PublisherRushi Nankchand
Publication Year1933
Total Pages212
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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