________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
॥ शष्ठप्रकारी पूजा ॥
२०
कटुक कर्म विपाक बिनाशनं । सरस पक्क फल व्रज ढौकनं ॥ विहित मोक्ष फलस्य विनोः पुरः । कुरुत सिछ फलाय महाजनाः॥८॥ नझी परम परमात्मने अनंतानंत ज्ञानशक्तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय श्रीमजिनेंदाय फलं यजामहे स्वाहा ॥ ८॥ इति फलपूजा
इति जिनवरदं नक्तितः पूजयंति । परम सुख निधानं देवचंद स्तुवंति ॥ प्रति दिवस मनंतं तत्व महासयंति । परम सहज रूपं मोक्ष सौख्यं श्रयंति ॥ ८ ॥ नझी परम पर मात्मने अनंतानंत ज्ञानशक्तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय श्रीमजिनेंदाय अयं य जामहे स्वाहा ॥ ८ ॥ इति शर्ध्य पूजा ।
शको यथा जिनपतेः सुरशैल चूला। सिंहा सनो परि गतः स्लपनावशाने ॥ दध्यक्षतैः कुसुम चंदन गंध धूपैः । कृत्वार्चनं तु विद धाति सुवस्त्र पूजां ॥ १ ॥
तहत् श्रावक वर्ग एष विधिना लंकार
For Private And Personal Use Only