________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
॥ आरती॥
सच्चं मुणि वइ जलणि जल तंतह नमडइ पास छहब कयं तस्स निम्मलउ निगुण बु हि पयास ॥१॥जलण अनेविणु जलनिहि पास तिन्नि पयाहिण दितिहि पास। जिम जिय युह नव दुह पास।२। जल निम्मल क र कमलेहि लेवणु । सुरविहि नावहि मुणि वइ सेवणु पनणह जिणवर तुह पय सरणु ॥ एह कहके लूण जल सरणकीजै ॥ इति
॥ श्री आरतिसबरे की ॥
जय जय आरती शांत तुमारी ॥ तोरा चरण कमलकी मैं जाउं । बलिहारी विश्वसे न अचिराजी के नंदा । शांतिनाथ मुख पूनि म चंदा जै०॥१॥ चालिस धनुष सोवन मय काया मगलांबन प्रनु चरण सुहाया ॥ जै० २॥ चक वर्त प्रनु पंचम सोहै । सोलम जिणवर जग सऊ मोहै जै० ॥ ३ ॥ मंगल
आरति लोरें कीजे । जनम जनम को ला हो लीजे जै० ॥ ४॥ कर जोडी सेवकगण गावै । नविक गुण गावै । सो नर नारी
For Private And Personal Use Only