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॥ पूजा
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वरें सर्व प्राच्यावही । शक उच्छृंग जिन दे खि मन गहगही ॥
॥ गाथा ||
हो देवा पाइ कालो | दिठ पुत्रो तिलोयतारणो तिलोय बंधू मिच्छत्त मोह विणो ॥ णाइ तिराहा विणासणो । देवाहि देवो दिवो दिवो हियकामेहिं ॥
॥ ढाल ॥
एम पजणंत वण जवण जोईसरा ॥ देव वेमाणिया जत्तिधम्मायरा ॥ केवि कप्पठिया केवि मित्ताणुगा । केवि वर रमणि वयणेण अइ उच्छृङ्गा ॥
॥ वस्तु ॥
तत्य नुय तत्यच्च य इंदु छादेश करजोडी सब देवगण ॥ लेइ बल छादे शपामिय खदमत रूप सरूपजय करण एह पुच्छंत सामिय इंद्र कहें जग तारणी तार ग म परमेस । नायक दायक धर्म निधि करिये तसु षेक ॥
॥ ढाल ॥
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