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___॥ नं० श्व० पू०॥
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सुख नोदाव ॥ १ ॥ ॥ हाहोरे देवा बावनाचंदनघसिकुमकुमा ॥ __ हाहोरे वाला एजगदीसर हितकरू । छ लवेसर जिनमाहाराजए ॥ शतिगहिरानव जलधिते । प्रनुतारण तरण जिहाजए हां० १॥नीमकरम कुंजरघटा । नंजन मृगराज समानए ॥ हांहोरे बाला नव्यकमल प्रतिवो धिवा । एप्रनुवासर महिरानए हां० ॥२॥ रजत शालि तंदुलमयी शदत पूजन एग्रसा रए ॥ एपूजा जिनचंद नी । बांबित सुखनी दातारए हां० ॥३॥ ठवणजिनंद दरसणश छै। अनुनव रसतसनो कंदए ॥ नावजिणे सरदरसनो कारण कह्यो सकलजिणंदए हां० ४ ॥ ए पाठक शिवचंदने । जिनचरण शरण आधारए ॥ प्रतिनव जय ज्योयेकही बही। शदत पूजासारये हां० ॥५॥
काव्य ॥ विजित मंदर जूधर धीरतं । निहत साग रराजगन्नीरतं ॥ प्रदित पातकयोध सुवीरतं जिनगणं प्रयजादत पूजया ॥ ६ ॥ ही अर्ह परमात्मन्यो अनंता० प्रणत० कठिन०
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