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॥ नंदीश्वरपूजा ॥
१५३
॥ अथ नंदीश्वर जीकी पूजा ॥
॥दोहा॥ स्वस्तिश्री सुखकरण घन । विघनहरण ज यकार ॥ अश्वसेन नंदन चरण । शरण
रुचिर उरधार ॥ १ ॥ जिनवाणी समरणकरी । सकलजीव सुख कार ॥ कहिस्युं नंदीश्वर जगत । पति
पूजन विसतार ॥२॥
॥ढाल ॥ अखिलहीपसिरताज।शष्ठम नंदीश्वरही पबाजै ॥ वलयाकार जगत सुख कारी । नि सपम शतिशय गुण मणिधारी॥ १॥
॥ उल्लालो॥ मणिधारि बावन विमल गिरिवर । जै नमंदिर युतसदा ॥ शुजनक्ति धर निरजरपु रंदर निरषिपामें सम्मदा । इककोकि शतत्रि ण सष्ठिकोफिय चोरासीलख योजना। इणही पनो चकवाल विष्कंन । मान जाणो नोजना
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