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॥चौं० जि० पू०॥
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॥ रागतेजतरणिमुखराजेंप्रनूजीको एचाल ॥
चरमबीरजिनराया। हां रेजिनराया मेरे प्रनुचरमबीर जिन० सिझा रथकुलमंदिरधज सम । त्रिसलाजननी जाया । निरूपम सुंदर प्रनुदरणतें । सकललोकसुखपाया मे०॥ १॥ बामचरणअंगुष्टफरसतें। सुरगिरिवर कंपाया इंदनूतिगणधर मुनिजन । सुरपति बंदितपा मुख या मे० ॥ २ ॥ बरतमानसाशनसुखदाया॥ चिदानंदघनकाया। चंकिरण गणबिमल स चिरकर । शिवचंदगणि गुणगाया हां० ॥३॥ बरसनंद मुनिनाग धरणमित। हितियाश्विन मनन्नाया। धवलपद पंचमितिथिशनियुत॥ पुरजयनगरसुहाया मे०॥ ४ ॥ श्रीजिनहर्ष सूरिसूरीश्वर । बरखरतरगडराया। केमकि निशाषागणिनूषण रूपचंदनवझाया मे० ५ महापूर्बजसु नूरिनरेस्वर । बरखरतर गबरा या। तासुशीसबाचक पुन्यशीलगणि तसुशी प्यनामधराया मे०॥६॥ समयसुंदरअनुग्रहि शषिमंझल । जिनकीसोजसवाया । पूजरची पाठकशिवचंदने । आनंदसंघबधाया मे० ७
॥ इति रिषिमंगल पूजा संपूर्णा ॥
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