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॥चौ० जि० पू० ॥
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श्रीमन्लेमिजिनेंद्रायजलं नैवे० स्वाहा॥२२॥
॥दोहा॥ अश्वसेननंदनसदा । घामोदरखनिहीर ॥ लोकशिखरसोनेप्रनू। विजितकरमबमबीर १ ॥ बाजै तेरा बिबुबा रे या एचाल ॥
पासजिणंदा प्रनुमेरेमनबसिया मे०॥शि वकमलानन कमलविमलकल । तरमकरंदपा नशतिहिसरसिया पा०॥१॥बामानंदनमोह निमूरत । सकल लोक जनमन किय बसिया पा०॥ परमजोति मुखचंद विलोकित । सु र नर किंनर चकोर हरसिया ॥ २ ॥ अंजन गिरि तनुदुति जिनजलधर देशन अमृतधार बरसिया पा० ॥ २ ॥ पियकरि नवि चिर काल तरसिया । मुगति युवति तनु तुरत फरसिया पा० ॥ २ ॥ कुमुद सुपद शिव चंद जिणंद नी ॥ बारी जाउं मन मेरो छ तिहिउलसिया पा०॥३॥ झी परम०१० ज० श्रीमत्पार्श्वनाथाय ज० यजामहे स्वाहा
॥दोहा॥ बरइखाकुकुलकेतुसम। त्रिसलोदरश्शवतार एप्रनुनीनितकीजिये । बिबिधनक्ति सुखकार
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