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॥ वि० स्था० पू० ॥
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तरन गुन पहिचानिये । इम जानि नविजन कुशलकारन बीसपद उर आनिये ॥ १ ॥इ ह वरस चंददिनेंद्र हरिमुख बिधिनयन बि तिमिरधरू । तिह मासन्नादव धवलदल ति थि पंचमी रविवासरू ॥ बंगालजनपद जि हां विराजत शिखर तीरथ गिरिवरू। सजा नगरशोनि अजीम गंजपुर द्वितीय बालूचर पुरू ॥ २॥ खरतरगणेार विजितसुरगुरु वि मल गुणगरिमाधरा । गुणनवन नविजन न लिन कानन नितविकासन दिनकरा ॥ मुनि चंद श्रीजिनलानसूरिंद सुगुरु महियल युग वरा । सकलें बंदा जिनेशासनमंझना नि तहितधरा ॥ ३ ॥ तसुपहउजाल श्चलगन वर उदयगिरि बासेरकरा ॥ योगींद वंद न रेंद्र बंदितचरणपंकज गणधरा ॥ शचार पं चबतीसगुणधर सकल भागमसागरा । युग प्रवर श्रीजिनचंदसूरी गुरु सकलसूरीसरा ॥ ४ ॥ तसु चरण कमलज युगलसेवन अहनि शि मधुकरताधरी । पुन सुगुरुपद शरविंद युग नी कृपा नित चित शादरी ॥ गणधार श्री जिनहरषसूरी हरषधर घनअघहरी या
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