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॥ वि० स्था० पू०॥
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॥काव्य ॥ अनंतविलाण विनासरस्स। दुवाल संगी कमला करस्स ॥ सुलक्ष्वासा जरगोयमस्स । णमो गणाधीसर गोयमस्स ॥ ११ ॥ झा गौतमाय नमः। इति पंचदश पदे सुपात्रदा नाधिकारे गौतम पूजा ॥ १५॥
॥दोहा॥ सोलमपदमें जानिये । वेयावच्च विधान अखिल विमल गुणमणि तणों । सोहै प्रवर निधान ॥१॥ जिन १ सूरी २ पाठक ३ मुनी? बालक ५ वृछ ६ गिलान ॥ तपसी ८ चैत्य९ संघनोंकरो। वेयावच्च प्रधान ॥ २ ॥ ॥रागजंगलावालोम्हारोकबमिलसीमनमेलू॥
--**सेवोजाई । सोलमपद सुखकारी ॥श्री जिनचंद प्रमुख दशपदनों । करो वेयावच नारी से० ॥ १ ॥श्रीतीर्थंकर त्रिनुवन शंक र । श्वर केवली बलिहारीरमनपर्यवधर३ शवधिनाणधर ४ चवदंपूरब श्रुतधारी से० २॥दशपूर्वी १६उत्कृष्ठ चरणधर। लब्धिवंत शणगारी ॥ ए जिन कहिये इनवंदन । न
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