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॥ वि० स्था०पू०॥
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णं । विग्घोष संताव पयो हराणं ॥८॥
जा श्री उपाध्यायेन्यो नमः॥ ६ इति षष्ठ पदे उपाध्याय पूजा ॥
॥दोहा॥ जाणे जिनवाणी सरस । स्याद वाद गुण वंत ॥ मुनि कहिये शिव पंथनें। साधैं साधु कहंत ॥१॥ शमता रस जल कीलता । बि सदानंद सुरूप ॥ तिग पाम्यो पद सप्तमें। नभो नमो मुनि नूप ॥ २॥ ॥राग गुंफ मिश्रित नीममल्हार मेघबरसे ॥
॥जरी पुष्प बादल करी एचाल ।
नक्ति धरि सातमें पद नजो मुनिवरा । सुखकरा विजित इंदिय विकारा ॥ गुण स तावीस जूषण करी सोजिता । कोनिता वि कट कम सुनट सारा न० ॥१॥ चरण सत्त रि परम करण सत्तरि धरा। शिव करण नाण किरिया प्रधाना ॥ प्रति दिनें दोष या हारना वरजिता । सप्त ७ चालीस १० यति धूम निधाना न०॥२॥ मदन मद नंजता कमति जन गंजता । नक्त जन रंजता दांति
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