SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (६) ॥ विं० स्था० पू० ॥ श्री जिन हरखें तिण लहियो । मुनिवर कुमुद निसाकरा नि० ॥ ७ ॥ १०३ ॥ कला ॥ सम्मत संयम पतित जविजन । यतिहि थिर करता जला । अवगुण दूषित गुण विभूषित | चंद्र किरण समुज्जला । अष्टाधि कादवा सहस शीलांग । रथ रुचिर धारा धरा नव सिंधु तारण प्रवर कारण । नमो थविर मुनीसरा ॥ ८ श्री स्थविराय नमः ॥ ॥ इति पंचमपदे स्थविर पूजा ॥ For Private And Personal Use Only ॥ दोहा ॥ पूवरनाण दरसण चरण धारक यतिधूम सारे ॥ समितिपंच त्रिण गुपतिधर । निरुपम धीरज धार ॥ १ ॥ चरण कमल जेहनां नमें ग्रहनिशि सुरनर राय ॥ जनतागिरि दारण कुलिना । जय जय सिरि उवकाय ॥ २ ॥ ॥ राग भैरव पंचवरणी अंगीरची० एचाल ॥ नावधरि उबकाया वंदो विजयकारी | श्री उवकाय परमपद बंदी | लहो जिनपद छतिशय धारी जा० ॥ १ ॥ कुमती मदतर
SR No.020404
Book TitleJin Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamchandra Gani
PublisherRushi Nankchand
Publication Year1933
Total Pages212
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy