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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १] बलभद्रदेशका राजकुमार । ३९ तरह नहीं ।" इसके बाद यह कहना चाहिये:- "" परन्तु जिस मनुष्यके विषयमें मैं कह रहा हूं, अगर वास्तवमें नही हो तो वह बड़ा ही बदचलन है । " बस, इसी तरह गोल बातें करना, जिसमें उसकी चालचलनकी पूरी पूरी थाह लग जाय । पर ध्यान रहे, उसकी चाल चलनके विषय में ऐसी भद्दी बातें न बनाना जिसमें वह उम्भरके लिये बदनाम ही हो जाय । स्वतन्त्रतासे रहनेवाले युवकोंको साधारणतः जो जो बुरे व्यसन लग जाते हैं उन्हींमेंसे एकआध जड़ देना । जम्बू ० – उदाहरणार्थ – जुवा खेलना, सरकार | धूर्ज ० - हां, और क्या ? जुवा खेलना, शराब पीना, लड़ना, झगड़ना, झूठी सौगन्ध खाना या वेश्या - गमन करना —— यहांतक भी अगर बढ़ जाओ तो कोई हरज नहीं । जम्बू ०—–सरकार, यह कैसे कहूँ कि वे रण्डीबाज़ हैं । ऐसा कहने से तो उनके मुँहमें कालिख पुतेगी । धूर्ज • - हां, सच कहते हो । रण्डीबाज़ कहनेसे निस्सन्देह उसका अपमान होगा । अच्छा, रण्डीबाजीका नाम ही छोड़ दो; जैसा अवसर देखो वैसी बात बना दो । मेरे कहनेका यह तात्पर्य नहीं है कि उसे रण्डीबाज़ कहकर, व्यभिचारीके नामसे उसकी चारों ओर प्रसिद्धि हो ; किन्तु बचपन से स्वतंत्रता पूर्वक रहनेवाले युवकोंको जो अनेक दुर्व्यसन लग जाते हैं उनमें से एक आध अवसर पड़नेपर कह दो | जम्बू ० – पर,... सरकार । धूर्ज ० -- ऐसा किसलिये ? — यही न पूछते हो ? 0 जम्बू ० - जी हां ; मैं इसका कारण जानना चाहता हूं । धूर्ज० - अजी, इस द्राविडी प्राणायाममें और क्या धरा है ? For Private And Personal Use Only
SR No.020403
Book TitleJayant Balbhadra Desh ka Rajkumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanpati Krushna Gurjar
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1912
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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