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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८६ जयन्त [ अंक ३ दूसरे के गले मिलते हैं | रानी घुटने टेक कर ऐसे भाव बताती है कि वह राजा को बहुत चाहती है । राजा उसका हाथ पकड़कर उठाता है और सिर उसके कन्धेपर रखता है । रानी उसे पलंगपर सुला देती है; और उसे सोया हुआ देख वहाँसे चल देती है । इसके बाद एक पुरुष आता है; वह राजाका मुकुट उतार कर उसे चूमता है; और राजाके कानोंमें विष डालकर वहाँ से चल देता है । रानी फिर आती है; और राजाको मरा हुआ देख बहुत दु:खी होनेके भाव दिखाती है । विष डालने वाला पुरुष दो या तीन गूँगोंके साथ फिर आता है; और रानी के समान आप भी दुःखके भाव दिखाने लगता है गूँगे मनुष्य राजाकी लाशको उठा ले जाते हैं । हत्यारा पुरुष रानीको बहुतसी बहुमूल्य वस्तुओंकी भेंट दिखाकर अपने वशमें करलेना चाहता है । पहिले थोड़ी देरतक तो रानी अपनी नाखुशी जाहिर करती है; और विवाह करनेसे इन्कार करती है; पर अन्तमें उसका कहना मानकर गले मिलती है । दोनों जाते हैं । । कमला – महाराज ! इसका क्या मतलब है ? जयन्त — इसीको कहते हैं, कमला- -जान पड़ता है, K का सारांश दिखाया गया । गुप्त दुष्टता और स्वार्थसाधन | इस दृश्य में अब होनेवाले नाटक ( सूत्रधार प्रवेश करता है | ) जयन्त - सुनो ! इसकी बातोंसे सारा भेद खुल जायगा । इन नाटक वालोंके पेटमें एक भी बात नहीं पचतो; वे सारा भेद वाल देते हैं । For Private And Personal Use Only
SR No.020403
Book TitleJayant Balbhadra Desh ka Rajkumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanpati Krushna Gurjar
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1912
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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