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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बलभद्रदेशका राजकुमार । መ दृश्य २ ] धू० -- ( राजासे ) सुनिये महाराज ! ज़रा उनकी बातें तो सुनिये । जयन्त क्यों बीबी ? क्या मैं आपकी गोद में लेट सकता हूँ ? ( कमलाके पैरोंके पास बैठ जाता है । ) कमला- - नहीं नहीं; आप यह क्या करते हैं ? - जयन्त - डरिये नहीं; मैं और कुछ भी न करूँगा ;- -केवल आपकी गोद में अपना सिर रखना चाहता हूँ । कमला- - आज तो आप बहुत खुश मालूम होते हैं ! जयन्त — कौन, मैं ? कमला – जी हाँ ; आप | जयन्त- मैं तो आपके चरणोंका दास हूँ । खुश न रहूँ तो काम कैसे चले ? देखिये, मेरी माका चेहरा कैसा खुश है ! और मेरे पिताजीको मरे अभी पूरे दो महीने भी नहीं हुए । कमला नहीं महाराज ! दो और दो चार महिने बीत गए । जयन्त· -सच ? चार महीने बीत गए ! ओहो ! इतने दिन बीत जानेपर भी वे मेरा पीछा नहीं छोड़ते ! ठीक है; यदि कोई बड़ा आदमी मरे तो उसकी याद कमसे कम चार छः महीनेतक बनी रह सकती है । फिर भी उन्हें अपनी याद कायम रखनेके लिये अपने पीछे कोई जीती जागती शकल छोड़जानी चाहिये ; नहीं तो उनकी उन बेवारिस मुदकी सी दशा होती है जो मरनेपर गिद्धोंकी खुराक बनते हैं; और जिनकी फिर कोई सुध नहीं लेता । ( बाजा बजता है; और नाटकका दृश्य दिखाना आरम्भ होता है। ) एक राजा और एक रानी प्रवेश करते हैं । दोनों बड़े प्रेमसे एक For Private And Personal Use Only
SR No.020403
Book TitleJayant Balbhadra Desh ka Rajkumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanpati Krushna Gurjar
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1912
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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