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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जैन विवाह विधि www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंगलम् स्तोत्र मंगलम् भगवान् वीरो, मंगलम् गौतमः प्रभुः । मंगलम् स्थूली भद्राद्याः, जैन धर्मोऽस्तु मंगलम् ||१|| नाभेयाद्या जिना: सर्वे, भरताद्याश्च चक्रिणः । कुर्वन्तु मंगल सर्वे, विष्णवः प्रतिविष्णवः ।।२।। नाभि सिद्धार्थभूपाद्या, जिनानां पितरः समे । पालिताखण्ड साम्राज्याः जनयन्तु जय मम || ३ || मरुदेवी त्रिशलाद्या, विख्याता जिनमातरः । त्रिजगज्जनितानन्दा, मंगलाय भवन्तु में || ४ || श्रीपुंडरीकेन्द्रभूति - प्रमुखा गणधारिणः । श्रुतकेवलिनोऽपीह मंगलानि दिशन्तु में ||५|| ब्राह्मीचंदनबालाद्याः, महासत्यो महत्तराः । अखंडशीललीलाढया, यच्छन्तु मम मंगलम् ||६|| चक्रेश्वरी सिद्धायिका, मुख्याः शासनदेवताः । सम्यग्दृशं विघ्नहरा, रचयंतु जयश्रियम् ॥७।। कर्पादिं मातंगमुख्या, यक्षा विख्यातविक्रमः । जैन विघ्नहरा नित्यं दिशन्तु मंगलानि मे ||८|| हस्तमिलाप के मुहुर्त के आने पर क्रिया कारक वर कन्या के हाथ में कंकणडोरा बांधे चंदन तथा खेजडी का लेप करे और दोनो के गले में वरमाला डाल छेडा बांध वर के हाथ पर कन्या का हाथ रखना उस हस्त सपुट में कन्या का पिता चांदी का सिक्का रखे और उस वक्त क्रियाकारक नीचे मुजब मंत्र पढे । For Private and Personal Use Only
SR No.020399
Book TitleJain Vivah Vidhi Tatha Sharda Pujan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay, Muktivijay
PublisherNandishwar Dwip
Publication Year1999
Total Pages26
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size3 MB
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