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मप सिरिंधरा होलाल० अनोपम० च्यारसें ऐसी जिन बिंबनमें तिहांसुरवरा होलाल० नमें;मानुषोत्तर पर्वत च्यार प्रासाद पडवडां होलाल. प्रासाद०, जिनवर बिंबसें च्यार ऐंसीति अतिवडां होलाल. ऐंसीति०॥५॥ वक्षारे एंसी प्रासाद छन्नुसें जिनपति होलाल० छन्नुसें, कुलगिरि त्रीश प्रासाद छत्रीशसे मूरति होलाल० छत्रीससे दिग्गजें दशप्रासाद अडतालीससे जिननां होलाल० अडतालीस० वृत्त वैताढ्ये विसघर चोवीससे जिनां होलाल. चोवीससें ॥६॥ दीर्घ वैताये जिनघर एकसो सित्तरी होलाल. एकसो०, नमुंबिंब वीश सहस च्यारसें दिल धरी होलाल० च्यारसें; जंबु प्रमुख दश वृक्ष उपरि जिनघरां होलाल. उपरिक, सहस एकशत एक सित्तरि सुखकरां होलाल सित्तरिक ॥७॥ तिहां एक लाख च्यालीश सहस च्यारसे होलाल० सहस०, थुणतां ते जिनराय किं चित्तडं : उल्लसें होलाल० चित्तढुं० ॥ सहस एक प्रासादकिं कांचनगिरिअ छ होलाल. कांचन०, इक लाख वीस सहस जिनथी दुःख गच्छे होलाल जिनथी०॥८॥ महानदी सित्तेर प्रासाद चोरासीसें जिनवरुं| होलाल० चोरासीसेंद्रहें प्रासाद असीति छन्नुसे तिर्थकरुं होलाल० छन्नुसेंत्रणसे एंसी प्रासादकें कुंडें छे
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