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SM Mahavam
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kende
Achan Ka Beramendi
सर
शांतिनाथना.
पंच
स्तवन.
॥३४॥
स्वर्ग मर्त्य पातालमां, शाश्वत जिनवर गेह; शाश्वत जिन संख्या कहुं, सुंणजो ते धरीनेह ॥३॥ | ढाल-॥१॥ थारां मोहलां उपरि मेह झरुखें वीजली हो ॥ ए देशी ॥ आठमें द्वीप नंदीश्वर बावन देहरा होलालबावन देहरा होलाल,चोसठसें अडतालीस जिन बिंब सुखकर होलाल० जिनबिंब कुंडल द्वीपें च्यार प्रासाद मनोहरं होलाल. च्यार प्रासाद०, च्यारसे छन्नु बिंब जिननां सुखकरूं होलाल० जिनना०॥१॥रुचक द्वीपें च्यार जिनघर आखिएं होलाल जिनघर० च्यारसें छन्नु जिनवर मूरति भाखिएं| होलाल मूरति०॥राजधानीमा सोल जिणहर वंदिए होलाल,जिणहर०, ओगणीससे जिन बिंबधी पाप नीकंदिएं होलाल० पाप०॥२॥ मेंरुवनें अशीति प्रासाद जाणीएं होलाल, प्रासाद०, छन्नसें जिन बिंब किं दिलमांआणीएं होलालदिलमांचूलिका पांचप्रासाद किंजगजन मोहतांहोलाल जगजन०, श्रीजिनवरनां बिंब छसें तिहांसोहतां होलाल छसें॥३॥गजदंतें मंदिर वीश किं जिननां जय करुं होलालजि|ननां०, चोविससें जिन बिंब किंदरिशण दुःख हरु होलाल० दरिसण; देवकुरू उत्तर कुरूमां जिनहर दस सहि होलाल जिनहर०,जिन मूर्तिसें बार नमुंमन गहगही होलाल नमुखाइक्षुकारें च्यार प्रासाद अनो!
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