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सौभाग्य त लोकरे॥थाए घोर कठोर सजोर कर्मनो वेदवो॥कीम फोकरे॥ए आंकणी॥१॥जंबुद्वीपना भरतमा पंचमी पर श्रीपूर नामें समृधरे ॥ वसुनामें व्यवहारीयो॥वसतो तिहां समृधरे ॥वसतो०॥सुगुरु॥२॥ तेहनें । ॥१५०॥
नंदन बेहुता ॥ वसुसार अनें वसु देवरे ॥ वनमा गुणसुंदर गुरु ॥ नीरख्या तस सारे सेवरे ॥ नीरख्यालासुगुरु०॥३॥ गुरु मुख धर्म कथा सुंणी॥तव पाम्यां बे वैयरागरे॥अनुमति मागी तातनी ॥2
लेइ चारित्र त्यां वड भागरे ॥ लेइ०॥सुगुरु०॥४॥ लघु बंधव वसुदेवनें ॥आगम धर सुधो जाणरे ॥ 18 आचारज पद गुरुदीयें॥पात्रे ठवता नही हाणरे।।सुगुरु०॥५॥पांचसे मुनिनें वाचना॥ आपे वसुदेव स्मर्थरे॥
आलस तजी आगम तणा॥कहे उंडा आलोची अर्थरे ॥ कहे॥सुगुरु०॥६॥ एक दिन सूरि संथारीया ॥
तेहवे मुनि आव्यो एकरे ॥ अर्थ ग्रही पाछो वल्यो ॥ इम बीजा आव्या अनेकरे ॥इम०॥सुगुरु०॥७॥ 18||काइक नीद्रा वस हुआ ॥ वली पुळे अपर मुनि आयरे ॥ जपमाला मणीया परें ॥ एक आवे बीजो
जायरे ॥ एक०॥सुगुरु०॥८॥ आखें न आवे नीद्रडी ॥ जंपे नही जागर होयरे॥ सूत्र अर्थ पद आपता॥ आकुल थयो सूरि सोयरे॥आकुल०॥सुगुरु०॥९॥अमृत फीटी वीष थयु॥पलव्या तस अध्यवसायरे॥
SARKARO
॥१५०॥
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