________________
CAUSES
सौभाग्य पंचमी
**BRUAR
वेटिंगणा ॥२॥ ढाल पूर्वली ॥ दोरा चाबखी रे काबी खडीया डाबडी, कांठा मलिकारे स्थापना
स्तवनम् मुहपत्ती पडवमी; धुपधाणां रे जरमर वाडने चंहुआ, वालाकुंचीरे आरती कलसा जु जुआ॥३॥ त्रुटक-जु जुआ द्वज वासकुंपी रकेबी थाली भली, दीवी चंगेरी अंग लहणा गंधवाती नीरमली; घनसार सुकड अगर केसर जीन तणा सीणगार ए, उपगरण दसण नाक केरां पंच पंच। प्रकार ए॥४॥ ढाल पूर्वली ॥ पंच वाटीनोरे दीपक करीये आगळे, ढोइजेंरे पक्कान फल दल पाखलें; ना ना विधरे धान सरस भक्तिधरो, उजमगुंरे वीस्तारे इणि विधि करो॥५॥ त्रुटकविधि सहीत साहमी भक्ति करीयें जागीए रातीजगें, जीन नाण देसण गीत गाता पाप भवनां उभगें; थावे आराधन झान- इम सुंणी ते गुणमंजरी, तप पंचमी- कांति प्रेमे आदरें आदर भरी॥६॥ __ढाल-६-थी॥ हस्तिनाग पुरवर भलो ॥ अथवा ॥ प्राणी वाणी जिनतणी, तुम्हें धारो चित्त
मजार रे; श्रीपालना रासनी ॥ए देशी॥ इण अवसर भुपति हवें ॥पूछे शुत भवनो स्वरुपरे ॥ कोढ। थियो कुण कर्मथी ॥नावे वली वीद्या अनुपरे ॥ नावे वली वीया अनुप ॥ सुगुरु कहे सांभलो॥भवी
RSSHRESS)
For
And Personal use only