________________
SM Mahavam
A
kende
Achan Kailas
Gyamandi
शांतिना- थना.
स्तवन.
॥१०॥
ASSALAXXX
हजारो रे त्रण सय संख्या पूर धारिए, अवधि तीन हजारो रे ॥ अम०॥ ४॥ वैक्रीय खट सहस साधुछे, अडसय पूरव धारो रे; दोय लक्ष नेउ सहस्स कह्यां, ए श्रावक विचारो रे ॥ अम०॥५॥ श्रावीका समताधर तीनलक्षो, उपर त्राणुं हजारो रे; श्रीजिन आगममांहें कहीयां, ए सघलो परिवारो रे ॥ अ०॥ ६ ॥ चोथु कल्याणक विनयथी पूजें, दुजें ज्ञान उदारो रे; खम विजयनां भव दुःख छीजे, लीजे शीव निरधारो रे ॥ अम०॥ सौभागी सीर दारो रे ॥ अम० ॥७॥ इति चतुर्थं केवल ज्ञान कल्याणकं समाप्तम्
॥अथ श्रीपंचमनिर्वाणकल्याणकः ॥ । दहा-हवे कल्याणक पांचमो, गावा हरख अपार; तनमन जिन गुण शृणतां, सफल होय अवतार ॥१॥ ढाल ॥ राग सोरठि ॥ ऋषभजीनेश्वर प्रीतम माहरो रे॥ ए देशी ॥ अनुक्रमें श्रीजीनवरजी आवीया रे, समेत शीखर गिरिराज ॥ पणवीस सहस संयंम पणें हुआ रे, साधे आतम काज ॥१॥ शांति जिनेश्वर जगमां सुयशथयो रे, ॥ आं०॥ संपूरण पालीसह आउखुं रे, लक्ष
॥१०॥
For Patie And Personal use only