________________
ShiMahayeJainrachanaKendra
www.kobathrtm.org
Achat na
m ed
CENTREPRESE
दिए वधामणी नाथ ल०॥ हय गय रथ सिणगारीयां, लेइ अंते उर साथ ल०॥ के०॥९॥ राय समीपें आवियां, वंदीया हरख विशेष ल०॥उचीत स्थान के बेसतां, प्रभुशुं नय ये उपदेश ल०॥०॥१०॥
दुहा-संसार में भमतां थकां, दुःकृत नर भव लद्ध; ॥ निद्रा विकथा दुरत्यजि, आप सवारथ सिद्ध ॥१॥ जन्म मरण गर्भ वासनां, दुःख छे अनंत अपार; सघला दुःख थी छटिएं, सेवे प्रवा सार ॥२॥ संयम मारग आदरि, शुद्ध छे मुक्ति पंथ; समता शुद्ध छे आतमा, तप निरमल निग्रंथ ॥ ३ ॥ ढाल ॥ राग धन्या श्री ॥ तप गच्छनंदन सुर तरु प्रगव्या, हिर वीजय गुरु राया रे ॥
ए देशी ॥ नृप सुणी धर्मनें सज थया सर्वे, जाणी अथीर स्वरूप रे; राज ठवे राय नीज पुत्र में, भावता भावना भूपरें ॥१॥ अमने कुण करत उपगार, सौभागी हितकार रे ॥ अमने ॥ आं० पांत्रिसें नृप साथे पखरिया, दीक्षा दीएं जगदीश रे; त्रिपदिनी सुणी प्रभु मुख थकी, गण धरादिक छत्तीस रे अमने०॥२॥ बासठ सहस्स संयमि साधु भालो, साधवी संख्या धारो रे; हजार बासठ पर चउ शत सही, वंदी करम निवारों रे॥ अमने०॥३॥मनःपर्यव चउ सहस्स हुआ, केवली च्यार|
A
RCAMPA
For Pale And Personal use only