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अष्टमीनुं
“अथ श्री अष्टमीनुं स्तवनम्"
स्तवनम् दुहा-पंच तीरथ प्रणमुंसदा, समरी शारद माय; अष्टमी स्तवन हरखे रचुं, सुगुरू चरण पसाय॥१॥ ढाल-१-ली॥हारे लाल चंद्रप्रभ जिन आइमा,अष्ट कर्म कर्यां चक चूररे लाला ॥ए देशी॥हारे लाला ||| जंबुद्वीपना भरतमां, मगध देश महंत रे लाला; राजगृही नयरी मनोहरं, श्रेणीक बहु बलवंत रे लाला M॥ अष्टमी तिथि मनोहरं ॥ ए आंकणी ॥१॥ हारे लाला चेलणा राणी सुंदरूं, शीयलवंती शीरदार रेलाला; श्रेणीक शुद्धबुध छाजतां,नामे अभय कुमार रे लाला ॥अष्टमी ॥२॥ हारेलाल वर्गणा आठ मीटे एहथी, अष्ट साधे सुख निधान रे लाला; अष्ट मद भाजें वज्रछे, प्रगटे समकीत निधान रे लाला ॥ अष्टमी ॥३॥ हारे लाला अष्ट भय नाशे एहथी, अष्ट बुद्धि तणो भंडार रे लाला; अष्ट प्रवचन ए संपजे, चारीत्र तणो आगार रे लाला ॥ अष्टमी॥४॥हारे लाला, अष्टमी आराधन थकी, अष्ट कर्म है करे चक चूररे लाला; नवनिधी प्रगटे तसघरे, संपूर्ण सुख भरपुर रे लाला ॥ अष्टमी ॥५॥ हारे
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