________________
ShriMahavirain AartmenaKendra
www.kobateh.org.
Acharya Sh Kailasagar
Gyanmandi
सीमंघर- जिम ममता जाए उंडीरे ॥ बलीहारी ॥ ८॥ साहेबे मानी विनंती, मील्यो अनुभव मुज अंतरंगिरे। स्तवनम् जिन ओच्छाव रंग वधामणा, हुआ सुजस महोदय रंगेरे ॥ बलीहारी ॥९॥
___ कलश-इम सकल सुखकर दुरित भय हर शांति जिनवर में स्तव्यो, यूग भुवन संजम मान॥१११॥
वर्षे चित्तमहर्षे विनव्यो; श्री विजय प्रभसूरि राज राजित सुकृत काजे नय कही, श्री नयविजय बुधशिष्य वाचक जशविजय जयसिरी लही ॥१॥
"इति श्री निश्चय नयवाद गर्भित श्री सीमन्धर जिन स्तवनम् सम्पूर्णम्" गाथा-जय कमल लोचन जग विरोचन विगत शोचण वंवणो, निःसंगरंग तरंग जिनवर अकल रूप निरंजणो; इय सहज कुशल विनेय बोले चेतीओ श्रीमंधरो, श्रीविजय दान मुणिंद वाचक
॥१११॥ सकलचंद कृपा करो ॥३२॥
“इति श्री सीमन्धर जिन स्तवनम् सम्पूर्णम्"
ACCIA
For Pale And Personal use only