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ShriMahavirain AartmenaKendra
Achan Kailas
Gyamandi
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सीमंधर- विनात
स्तवनम्
कवी दीपता, तस शिश नमुं निशदिश ॥ आज०॥१०॥ तेहना रुपविजय कवी राजमा, तेहना कृष्ण नमुं करजोडि; वलि रंगविजय रंगे करी, हुंतो प्रणमुं प्रणीत करजोडि ॥ आज. ॥ ११ ॥ संवत् | अढार सतलोतरे, भाद्रवा मास उदार; तिथि तेरश चंद्र वासरे, इम नेमीविजय जयकार॥आज०॥१२॥
__ "इति श्री गोडी पार्श्व नाथजीनुं स्तवन सम्पूर्णः"
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“अथ श्री सीमंधर स्वामी विनंति रूप स्तवनम्" धन्य धन्य क्षेत्र महा विदेह जी॥एदेशी॥सूण श्रीमंधर साहिबा जी, शरणागत प्रतिपाल; समर्थ जग जन तारवा जी, कर माहरी संभाल ॥ १॥ कृपानिधि सूण मोरि अरदास ॥ हुँ भव भव तुमचो दास कृ०। ताहरो छे विश्वास कृ० पूर माहरि आश कृपानिधि सूण मोरि अरदासे ॥ए आंकणी ॥२॥हुँ अवगुणनो राशिछंजी, तिल तुष नहिं गुणलेश; गुणनी होडि करूं सदाजी, एहिज सबल किलेस ॥ कृपानिधि ॥३॥ मच्छर भयने लालचे जी, करतो क्रिया लेश; तेपण परजनरंजवा जी, भलो भजाव्यो वेश ॥
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॥१३॥
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