SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ SM Mahavam A kende Achat na m ed CACA स्तवन. श्रीगोडी- प्रतिमा नित्य मेरेलालसुणज्यो॥२॥ एक दिन सुहणे इमकहे, मेघाशाने वात मेरेलाल०; तुंमुज साथे पार्श्व.|आवजे, परवारि प्रभात मेरे लाल०; सुणज्यो० ॥३॥ वहेल लेइ भावल तणी, चारण जातेछे तेह मेरे लाल; देवाणंद राइका तणा, दोय वृषभछे तेह मेरेलाल; सुणज्यो० ॥४॥ वहेले खेडे तुं एकलो, मतलेजे कोइने साथ मेरेलाल०; डाबा स्थलभणी चालजे, मुजने राखजे हाथ मेरे लाल सुणज्यो० A॥ ५॥ इम मेघाशाने पीछवी, यक्ष गयोनिज ठाम मेरे लाल०; रविउगे मेघोतिहां, करवा मांड्यो काम मेरे लाल०; सुणज्यो० ॥ ६॥ वहेल लीधी भावलतणी, वृषभ आण्या दोय मेरे लाल०; जोतरी वहेल स्वामीतणी, जाणोछो सबकोय मेरे लाल०; सुणज्यो०॥७॥ तव मेघो ते वहेलने, खेडी चाल्यो जाय मेरे लाल; अनुक्रमे मारग चालता, आव्यां थल डाबामांहि मेरेलाल सुणज्यो०॥८॥ ___ ढाल-७ मी ॥ आमली लाल रंगावो वरना मोलिया ॥ ए देशी ॥ तिहा छोटाने मोटा स्थल घणा, दिसे रुक्षतणा नही पाररे; तिहां भुतने प्रेत व्यंतर घणां, देखी शेठ करे विचाररे॥साहमेघो मनमा चिंतवे ॥ए आंकणी ॥१॥ कुण करस्य माहरी साररे, तव यक्ष आवीने इमकहे; तुंमत करजे फिकर For Paw And Personal use only
SR No.020395
Book TitleJain Prachin Purvacharyo Virachit Stavan Sangrah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotichand Rupchand Zaveri
PublisherMotichand Rupchand Zaveri
Publication Year
Total Pages411
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy