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SM Mahavam
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Acharya Sh Kailasager
Gamandi
श्रीआदीश्वर
९२॥
SASRANSLAK
अपार लाल सुख विलसे संसारनां मन०, सुरपेरे स्त्री भरतार लाल०॥३॥ एक दिन सूती मालिये|| स्तवन. मन०, मरुदेवी सुपवित्त लाल०; चोथ अंधारिआषाढनी मन०, उत्तराषाढा नक्षत्र लाल.॥४॥तेत्रीश सागर आउखे मन०; भोगवी अनोपम सुख लाल०; सर्वार्थ सिद्धथी चवी मन०, सूर अवतरिओ कुख है। लाल०॥५॥चउद सुपन दिठां तीसे मन०, राणीए मझिम रात लाल; जइकहे नीज कंतने मन०,शुपनतणी सावि वात लाल०॥६॥ कंत कहे निज नारीने मन०, शुपन अर्थ सुविचार लाल; कुलदिपक त्रीभूवन धणि मन०, पुत्र होशे सुखकार लाल० ॥७॥शुपन अर्थ पीउंथी सुणि मन०, मन हरख्यां मरुदेव लाल०; सुखे करे प्रति पालना मन०, गर्भतणी नित्य मेव ॥ लाल०॥८॥नव मासवाडा उपरे मन०, |दिन हआ साढासात लाल चैत्रवदि आठिम दिने मन०, उत्तराषाढा विख्यात लाल०॥९॥ मझिम रयणी ने समे मन०, जनम्यो पुत्र रतन्न लाल; जन्म महोच्छव तवकरे मन०, दिशी कुमरि छप्पन्न लाल०॥ १०॥
ढाल-३-त्रीजी ॥ हमचडीनी देशी॥आसन कंप्यु इंद्रतणुंरे,अवधिज्ञाने जाणि; जिननो जन्म
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