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Acharya Sh Kailasagar
Gyanmandi
शांतिना- ललना; भविका; ॥ १८॥ गुरु कहे हवे विधि सांभलो, जे कह्यो शास्त्र मोझार ललना; कार्तिक पंच क. थना. शुदी पंचमी दिने, पुस्तक आगल सार ललना; भविका; ॥ १९ ॥ दीवो पंच दीवेट तणो, कीजिए
स्तवन खतिक पास ललना; नमो नाणस्स गणणु गणो, चउवीहार उपवास ललना; भविका; ॥२०॥ ॥ ३॥
पडिक्कमणां दोय किजिए, देव वंदन त्रण वार ललना; पंच वरस पंच मासनी, कीजीए पंचमी &सार ललना; भविका; ॥ २१ ॥ हवे उजमणा ने कारणे, सांभलो विधिनो प्रपंच ललना; पुस्तक आ-18 |गल मुकवां, सघलां वानां पंच ललना; भविका; ॥ २२ ॥ पुस्तक ठवणी पुंजणी, नवकार वाली प्रत ललना; लेखण खडीयां दाबडा, पाटी कवली संयुक्त ललना; भविका; ॥ २३॥ धान्य फलादिक ढोकिए, कीजीए ज्ञाननी भक्ति ललना; पूस्तकनी पूजा करो, भावश्यु जेहवी शक्ति ललना; | भविका; ॥ २४ ॥ गुरु वाणी इम सांभली, पंचमी कीधी तेह ललना; गुणमंजरी मुंगी टली, निरोगी थइ देह ललना; भविका; ॥२५॥
॥ ३॥ ढाल-॥चोथी॥ यादवराय जइ रह्यो गढगीरनार ॥ए देशी॥ राजा पुछे साधुनेंरे, वरदत्त कुमरने अंगा
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