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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिनगुणहीरपुष्पमाला इस भव पारके माये, भवो भव भटकते आयेः तारक त्रिलोकके पाये, निहारोगे तो क्या होगा. अगम शक्ति प्रभु धारी, तारे है नर अरु नारी; हमारे कर्म णा भारी, हटावोगे तो क्या होगा. सूरि राजेन्द्र गुरु ज्ञानी, जिनकी मीठी है वानी; अतने सत्य दिल जानी, पिलावेोगे तो क्या होगा. ५ २१ ( २६ ) ( गजल ) हमसे दूर रहो तुम यार, नकली जैन कहाने वाले टेर For Private and Personal Use Only ३ भूल्या कुल मर्यादा भान, बन्या अब होटलिया हेवानः hi पयगम्बर क्रिस्तान, फेशन नवी चलाने वाले. हम०१ अभक्ष्य अनंतकाय खाराक, भांग वीडी ब्रान्डीनी छाक; वन्यासे खरेखरा नापाक, पुनर्लग्न कराने वाले हम० २ तज्या नय निक्षेपा प्रमाण, जीवराम मिथ्या अभिमानः मात पिता गुरुनुं न ज्ञान, मत पाखंड बढ़ाने वाले. हम ०३ सटा शेत्रज जुआ रमनार, गरीव जीवना करे संहार: are herरयां करनार, संघमे जंग मचाने वाले. हम०४
SR No.020387
Book TitleJain Gajal Manohar Hir Pushpmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH P Porwal
PublisherJain Parmarth Pustak Pracharak Karyalay
Publication Year1928
Total Pages49
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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