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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir खराब स्वप्न देखा हो तो फिर सोजाना चाहिये और उसे किसी के आगे न कहना चाहिये । ऐसा करने से उसका खराब फल नहीं होता । जो मनुष्य प्रथम खराब स्वप्न देख कर फिर अच्छा स्वप्न देखता है उसे पिछले अच्छे स्वप्न का फल होता है। ऐसे ही उल्टा समजना चाहिये । यदि स्वप्न में मनुष्य हाथी, घोड़ा, सिंह, वृषभ और सिंहनी से युक्त अपने आप को रथ में बैठे जाता देखे वह राजा होता है। स्वप्न में घोड़ा, हाथी, वाहन, आसन, घर और निवसन( वस्त्र ) आदि का अपहरण देखता है वह राजा की ओर से शंकित | -भयवाळा, शोक करनेवाला, बन्धुओं का विरोध करनेवाला और धन की हानि करनेवाला होता है। मनुष्य स्वप्न में सूर्य और चंद्रमा के बिम्बको संपूर्ण निगल जाये वह दरिद्री होते हुए भी सुवर्ण और समुद्र सहित पृथ्वी का मालिक बनता है । प्रहरण( शस्त्र), आभूषण, मणि, मोति, सौना, चाँदी और धातुओं का हरण देखे तो वह धन एवं मान का नाशकारक होता है तथा भयंकर मृत्यु करनेवाला होता है। सुफेद हाथी पर बैठा हुआ नदी के किनारे चावलों का भोजन करता अपने को देखे तो वह जातिहीन होने पर भी धर्मधन को ग्रहण करता हुआ समस्त पृथ्वी को भोगता है। अपनी स्त्री का हरण देखने से धन नाश होता है । पराभव से क्लेश हो और गोत्रीय स्त्री का हरण या पराभव देखे तो बन्धुओं का वध बन्धन हो । सुफेद सर्प से जो मनुष्य अपनी दाहिनी भुजा को डसा देखे वह पाँच दिन में हजार सुवर्ण मुहरें प्राप्त करता है । जो अपनी शय्या या जूतों का हरण देखे उस की स्त्री मर जाती है, और उस के शरीर को पीड़ा होती है । जो मनुष्य स्वप्न में मनुष्य के For Private And Personal
SR No.020376
Book TitleHindi Jain Kalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmanand Jain Sabha
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1949
Total Pages327
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size17 MB
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