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पर्युषण पर्व और कल्पसूत्र की महिमा तथा कल्पसूत्रश्रवण से अपूर्व लाभ जैसे देवों में इंद्र, तारों में चंद्र, न्याय प्रवीण पुरुषों में राम, रूपवानों में काम, रूपवती स्त्रियों में रंभा, बाजों में भंभा, हाथियों में ऐरावण, साहसिकों में रावण, बुद्धिमानों में अभयकुमार, तीर्थों में शत्रुजय, गुणों में विनय, धनुषधारियों में अर्जुन, मंत्रों में नवकार और वृक्षों में सहकार( आम्र) उत्तम हैं वैसे ही सर्व शास्त्रों में यह कल्पसूत्र सिरमौर माना जाता है, कहा भी है कि जैसे मंत्रों में परमेष्ठि मंत्र की महिमा है, तीर्थों में शत्रुजय की महिमा, दानों में दयादान की महिमा, गुणों में विनयगुण की, व्रतों में ब्रह्मचर्य व्रत की, नियमों में संतोष, तप में शमता और तत्वों में सम्यग्दर्शन की महिमा है वैसे ही श्री सर्वज्ञ प्रभु कथित सर्व पर्यों में श्री वार्षिक पर्व-पर्युषणा उत्कृष्ट है। जैसे कि अरिहन्त से बढ़कर देव नहीं, मुक्ति से बढ़कर पद नहीं, शत्रंजय से बढ़कर तीर्थ नहीं, वैसे ही कल्पसूत्र से बढ़कर अन्य कोई शास्त्र नहीं है। यह कल्पसूत्र साक्षात् कल्पवृक्ष ही है। यह पश्चानुपूर्वीसे कथन किया होने के कारण श्री वीरचरित्र बीजरूप है, श्रीपार्श्वनाथ चरित्र अंकुर है, श्रीनेमिनाथ चरित्र स्कंध है, श्रीऋषभदेव चरित्र शाखासमूह है, स्थ विरावलीरूप पुष्प हैं, समाचारी ज्ञानरूप परिमल-सुगन्ध है और मोक्षप्राप्ति यह इस कल्पसूत्ररूप कल्पवृक्ष का फल है। इसके वांचने से, वाचक को सहाय करने से और इसके सर्वाक्षर श्रवण करने से विधिपूर्वक आराधन किया हुआ यह कल्पसूत्र आठ भवों के अंदर मोक्षदायक होता है। जो मनुष्य जिनशासन की पूजा और प्रभावना में तत्पर होकर
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