SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १३२ मंडपदुर्ग और अमात्य पेड के दान की थोडी सूची यहाँ पर देते हः १ सवा करोड रुपये दानशाला में खर्च किए । २ राजा जयसिंह के माँगने पर पेथड ने अपनी चित्रावेल और कामकुम्भ राजा को दिये । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३ गुरु से सम्यक्त्ववत लेने के समय १२५००० एक लाख पच्चीस हजार का दान दिया। गुरु के प्रवेशोत्सव में ७२००० गीनी खर्च की । व्यापार के कारण भारत में पहले कितनी लक्ष्मी थी ? यह इस मंत्रीश्वर और वस्तुपाल तेजःपालादि के चरित्र से सुविदित हो सकता है । पहले दूसरे देशों का धन भी भारत में आता था, परन्तु अब तो उल्टा जा रहा है । वह स्वतन्त्रता व अनुकूलता नहीं रही । धार्मिक जीवन पेथड को इतना बडा व्यवसाय और राजखटपट होने पर भी वह धर्मकृत्य यथायोग्य करता था । अर्थ और काम पुरुषार्थ से भी वह धर्म पुरुषार्थ को विशेष महत्व का समझता था । ईश्वर के भजन में वह बहुत शौक रखता था । यही कारण है कि उसने धार्मिक कार्यों में लाखों नहीं करोडों रुपये खर्च किये हैं । हजारों मनुष्यों को साथ ले कर अपने खर्च से उसने गिरनार, आबू, For Private and Personal Use Only
SR No.020374
Book TitleHimanshuvijayjina Lekho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHimanshuvijay, Vidyavijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages597
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy