________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
९०
महाकवि शोभन और उनका काव्य
धनपाल के पिता सर्वदेव अन्तिम दिनों में राजा भोज की धारा नगरी में आकर रहे थे । इन दोनों पुत्रों का जन्म कहां हुआ, इस बात का निश्चित पता नहीं लगता । परन्तु अनुमान से यह कह सकते हैं कि सर्वदेव बहुत समय से धारा नगरी में आकर निवास करते थे । अतएव इन दोनों पुत्रों का जन्म धारा नगरी में ही हुआ होगा ।
धारा नगरी
जिस समय राजा भोज मालवे में राज्य करते थे, उस समय की धारा नगरी का गौरव और वैभव बहुत ही अधिक था । यहीं साहित्य का केन्द्र तथा युद्ध का अपूर्व स्थल था । इसमें अनेक वीर, विद्वान् तथा धनाढ्य रहते थे । विद्या की सुगंधि से यह नगरी महकती थी। देशविदेश के नामी नामी पण्डितों का यहां पर गर्व नष्ट हो जाता था । यहां पर अच्छे अच्छे विद्वान् और कलावान तथा कवियों को लाखों रुपयों का पुरस्कार और सम्मान मिलता था । सरस्वती और लक्ष्मी दोनों का यहाँ एक ही साथ निवास था । उस समय धारा नगरी के राजा और प्रजा दोनों ही शिक्षित तथा कला प्रिय थे |
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
राजा 'भोज' केवल योग्य राजा ही नहीं, अद्वितीय विद्वान और रसिक कवि भी थे । यह रसिकता इतनी अधिक थी कि जिसके व्याकरण की ईर्षा से गुजरात के राजा सिद्धराज जयसिंह ने श्री हेमचन्द्राचार्य से प्रार्थना
For Private and Personal Use Only