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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gynam Mandir हिदायत बुतपरस्तिये जैन जिनघर कहा, अगर जैनमजहबमें जिनमंदिरका मानना न होता तो जिनघर ऐसा पाठ क्यों होता ? सबुत हुवा, उसमें जिनमूत्ति मौजूद थी उसी सबबसे जिनघर कहा, देखलिजिये ! ज्ञातामत्रके मूलपाठसे जिनमंदिर और जिनमूर्तिका होना साबीत होचुका, रायपसेणीसूत्रमें लिखा है कि-मुर्याभदेवताने जिनप्रतिमाकी पूजा किई, अगर अविरति समष्टिकी धमक्रिया गिनतिम नही लेते तो अविरति समष्टि देवेंद्रका का हुवा पाठ गिनतिमें क्यों लेते हो? श्रेणिकराजा अविरतिसमष्टि श्रावक थे जिनोने विनाव्रतनियमके तीर्थकरगोत्र हासिल करलिया, जोकि-एक आलादर्जेकी चीजथी अगर कहा जाय मूर्ति कुछ वोलती नहीं इसलिये उसे क्यों मानना? जवाबमें मालुम हो धर्मपुस्तक भी खुद बोलते नहीं उनकोभी नही मानना चाहिये, अगर कोई कहे मूर्ति त्यागी है या भोगी ? एकेद्रिय या पंचेंद्रिय ? जवावमें मालुम हो धर्मशास्त्र त्यागी या भोगी? एकेंद्रिय या पंचेंद्रिय ? अगर कोई तेहरीर करे जिनप्रतिमाम गतिजाति इंद्रिय कौनसी ? योग उपयोग कितने ? लेश्या कितनी ? जवाबमें मालुम हो आचारांग बगेग धर्मपुस्तकोम गतिजातिइंद्रिय योगऊपयोग और लेश्या कितनी ? जैसे जैनमूर्ति पाषाणकी बनी हुई है, आचारांग वगेरा धर्मपुस्तक कागज-म्याहीके बने हुवे है.. कोई श्रावक किसी जैनमुनिकों अपने शहरमें या गेरमुल्कमें वंदना करने जावे तो उसको पुन्य होगा या पाप ? अगर कहा जाय पुन्य होगा तो शत्रुजय गिरनार बंगरा जैनतीथके दर्शनकों जानेमें पुन्य क्यों नहीं? कोई जैनमुनि अपने शहर में तशरीफ लावे और श्रावकलोग गुरुभक्तिसे कोस दो कोस सामने जावे तो पुन्य होगा या पाप? अगर कहा जाय पुन्य होगा तो बतलाइये रास्तेमें जो वायुकाय वगेरा जीवोंकी हिंसा हुई उसका पाप किसकों लगा? अगर कहा नाग पनःपरिणाम गुरुभक्ति के थे. इसलिये For Private And Personal Use Only
SR No.020373
Book TitleHidayat Butparstiye Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantivijay
PublisherPruthviraj Ratanlal Muta
Publication Year1916
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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