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________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandir च्छेदकं तद्रूपवत्वं विवक्षित । पर्याप्त्यधिकरणत्वा निवेशे नित्यत्व तदभाव विषयक ज्ञानवानयंनियो नवेति संशयं प्रति इदंत्वा वच्छिन्न विशेष्यक नित्यत्व तदभार विषयक ज्ञान प्रकारक ज्ञानत्वेन जनकतया नित्यत्व साध्यक ज्ञानादि हेतोः सव्यभिचारत्वापत्तिः । नचैवं धूमवत् पर्वत कालीन वन्हिमानि त्यादौ पर्वतो धूमवत् पर्वत कालीन बन्हिमान् नवेति संशय जनकता बच्छेदकी भूत साध्य विषयतांत:पाति पर्वतत्वावच्छिन्न विशेष्यता निरूपित धूमत्वा वच्छिन्न प्रकारताया फलीभूत संशय धर्मिता वच्छेदकता पर्यापूत्यधिकरण धर्मा वच्छिन्न विशेष्यता निरूपितत्वा दतिव्याप्ति रिति वाच्यं तादृश धर्मा वच्छिन्न विशेष्यता निरूपित यद्पावच्छिन्न प्रकारता फलीभूत संशय जनकता नतिरिक्त वृत्तिः तद्रूपवत्वस्यैव विवक्षितत्वात् । एवं सति नित्यत्व तदभाव विषयक ज्ञानवान् इति ज्ञानीय तादश विशेष्यता निरूपित शुद्ध ज्ञानवा वच्छिन्न प्रकारतायाः नित्यत्व तदभाव विषयक ज्ञान वानयं नियो नवेति संशय जनकता नतिरिक्त मृत्तिलेन नित्यो ज्ञाना दित्यत्रा तिव्याप्ति रतो ऽनतिरिक्त वृत्तित्वं विहाय स्वरूप संबंध रूपा वच्छेदकत्वस्य निवेशनीय तया धूमवत् पर्वत कालीन वन्हिमान् धूमा दिल्यादा वतिव्याप्तेः फलीभूत संशय धर्मिता वच्छेदक धर्मावच्छिन्न मुख्य विशेष्यता निरूपित यदूपा विच्छिन्न प्रकारता संशय जनकता बच्छेदिका इति विवक्षणेनैव वारणात् । अथ नित्यत्व तदभाव विषयक ज्ञान वानयं नित्यत्व तदभाव विषयक ज्ञान वानिति जानीय तादृश विशेष्यता निरूपित विशिष्टज्ञानत्वावच्छिन्न प्रकारताया अवच्छेदकत्वेन तत्रा तिप्रसंगोऽशक्प वारणाय चफलीभत संजय धर्मिता वच्छेदकता पर्याप्त्य धिकरण धर्मा वच्छिन्न विशेष्यतात्वा वच्छिन्न निरूपकत्व विशिष्ट यद्रूपा वच्छिन्न प्रकारत्वं संशय जनकता नच्छेदकं तद्रूप बत्र मिति विवक्षणे न दोषः । इदंत्व मात्रा वच्छिन्न विशेष्यताखा वच्छिन्न निरूपकताकत्व घटित रूपस्या वच्छेदकत्वा वच्छेदकलेन नित्यत्व तदभाव विषयक ज्ञान बदि दंत्वा वच्छिन्न विशेष्यतात्वा वच्छिन्न निरूप्यताया एक व्यक्तितया इदन्वा वच्छिन्न विशेष्यता निरूपितत्व रूपेण तादश जनकता बच्छेदकत्वात् तादृश प्रकारतात्वस्य जनकता वच्छेदकता वच्छेदकत्वा च विशिष्टस्य सुतरां जनकता बच्छेदकतावच्छेदकत्वात् । यदिच तादृश विशिष्ट धर्मे जनकता वच्छेदकता वच्छेदकता पर्याप्ति निदेश्यते तदा संभवः । लाघवेन तदुर्मा वच्छिन्न विशेष्यता निरूपित प्रकारता खेनावच्छेदकत्व स्वीकारेनैवोपपत्ते रनवच्छेदकी भूत विशेष्यतात्वा वच्छेद्यत्वांशान्तर्भावेन जनकता वच्छेदकत्वस्य पर्याप्त रसंभवात् । एतच्चा नुमिति ग्रंथे प्रकारान्तरा नुसरणे च गौरव For Private and Personal Use Only
SR No.020372
Book TitleHetvabhas Savyabhichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangadhar Pandit
PublisherGangadhar Pandit
Publication Year
Total Pages90
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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